जिस जगह पर स्वर्ण मंदिर बना है उस जगह पर पहले सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी ने ध्यान किया था. हरमंदिर साहिब की स्थापना सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने की थी.
महाराजा रणजीत सिंह, 19वी सदी में पंजाब के राजा थे और उनके कार्यकाल में ही स्वर्ण मंदिर का नवीनीकरण हुआ था.
हरमंदिर साहिब को जब शुरू में बनाया गया तो इसमें सोने की पॉलिश नहीं की गई थी.
हरमंदिर साहिब में लगने वाले लंगर में प्रतिदिन लगभग 35000 लोग खाना खाते हैं. सारा खाना भक्तों द्वारा दान किया जाता है. इस मंदिर की लंगर सेवा भी दुनिया की सबसे बड़ी सेवा है
हरमंदिर साहिब के पहले पुजारी बाबा बुड्ढा जी थे.
हरमंदिर साहिब में प्रवेश करने के लिए चार रास्ते हैं. स्वर्ण मंदिर में बने चार मुख्य रास्तों का मतलब कोई भी व्यक्ति, किसी भी धर्म, समुदाय का इंसान उस मंदिर में आ सकता है.
हरमंदिर साहिब में सिख धर्म की प्राचीन ऐतिहासिक वस्तुओं का प्रदर्शन भी किया गया है, जिन्हें देखने प्रतिदिन देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु यहाँ आते हैं.
सिखों का मुख्य उत्सव बैसाखी, गुरु राम दास का जन्मदिन, गुरू तेग़ बहादुर का मृत्युदिन, गुरु नानक देव जी का जन्मदिन इत्यादि शामिल हैं.
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