पिछली बार सरसों 8 हजार के आँकड़े को छुने मे कामयाब रही थी
लेकिन इस बार हालात ये हैं की किसानों को समझ नहीं आ रहा की सरसों को रोके रखें या बेच दें?
इसबार सरसों की बिजाइ पिछले भाव को देखते हुए ज्यादा हुई थी, किसान यहीं गच्चा खा गए क्योंकि सरसों की ज्यादा बिजाइ होने से सरसों के रेट इसबार कम है मांग उसी अनाज की ज्यादा होती है जिसका उत्पादन कम हुआ हो
देश के दो बड़े सरसों उत्पादक प्रदेशों में भाव लगातार गिर रहा है. नवंबर में इसके दाम में काफी तेजी थी. दाम लगभग 9000 रुपये प्रति क्विंटल था. लेकिन उसके बाद लगातार इसमें गिरावट जारी है.
ज्यादातर मंडियों में अधिकांश किसानों को पांच से छह हजार रुपये का औसत दाम मिल रहा है. जबकि तिलहनी फसलों की मांग और आपूर्ति में काफी अंतर है.
गेहूं खा रहा सरसों को : इसबार सरसों का उत्पादन बढ़ाने की चक्कर मे किसानों ने गेहूं कम बिजाइ करी थी
यही वजह है की गेहूं का उत्पादन इस बार 40 प्रतिशत तक कम हुआ है. अब गेहूं जिसका हरियाणा मे समर्थन मूल्य ही 2015 है, 2300 के पार बिक रहा है.
इसबार मंडियों मे सरसों को कोई नहीं पुछ रहा है. ना सिर्फ गेहूं बल्कि गेहूं की तुड़ी भी इसबार रिकार्ड पैसों मे बिक रही है.
सर्वे के अनुसार 2022 में सरसों का प्रोडक्शन 2021 के मुकाबले 30 से 40 फीसदी अधिक होगा. इन कारणों की वजह से अभी सरसों का दाम कम हो रहा है.
इसलिए उम्मीद बहुत कम है की इसबार सरसों पुराने भाव के आँकड़े को छू ले.
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