शादीशुदा महिलाओं को आपने बिछिया पहने हुए जरूर देखा होगा.बिछिया को विवाहित होने का प्रतीक माना जाता है.

 केवल शादीशुदा महिलाएं बिछिया पहनती हैं.बिछिया न सिर्फ पैरों की खूबसूरती बढ़ाता है बल्कि हिंदू धर्म में इसका खास महत्व भी है.

बिछिया पहनने का चलन भारतीय समाज में प्राचीन काल से ही है.रामायण काल में बिछिया के प्रमाण मिले हैं. जब अंहकारी रावण ने मां सीता का अपहरण किया था तब सीता मां ने अपनी पहचान के लिए बिछिया को फेंक दिया था.

.इसलिए शादीशुदा महिलाओं के लिए बिछिया पहनना शुभ माना जाता है.कहा जाता है कि यह महिला को अपने पति से जोड़े रखता है.इसके अलावा नवदुर्गा पूजा में भी मां को बिछिया ही पहनाएं जाते हैं.

इसके अलावा बिछिया को लक्ष्मी का वाहक माना जाता है.इसलिए इनका खोना अशुभ माना जाता है.

क्या आपने कभी सोचा है कि बिछिया केवल चांदी की ही क्यों होती है.शायद नहीं तो बता दें कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है.

हम सभी वाकिफ हैं कि चांदी को अच्छा संवाहक माना जाता है.जिसका मतलब है कि यह हमारे शरीर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकता है.इसलिए बिछिया केवल चांदी की ही बनाई जाती है 

क्या आप जानती हैं कि बिछिया पहनने से न सिर्फ पैर सुंदर लगते हैं बल्कि इससे कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं.

आयुर्वेद के अनुसार, पैर के दूसरे अंगूठे की नस महिला के गर्भाशय से जुड़ी होती है.

इसलिए पैर के अंगूठे में बिछिया पहनने से गर्भाशय और हृदय संबंधी रोग होने की संभावना कम हो जाती है.

 बिछिया से उंगलियों पर प्रेशर पड़ता है जिससे पीरियड साइकिल नियंत्रित होती है.सिर्फ यही नहीं बिछिया पहनने से एक्यूप्रेशर लाभ भी मिलते हैं.

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