देश में इन दिनों बिजली का भीषण संकट छाया हुआ है. थर्मल पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक खत्म होने के कगार पर है.
नई सप्लाई में दिक्कतें आ रही हैं. इससे पर्याप्त बिजली पैदा नहीं हो पा रही है. भीषण गर्मी और आर्थिक गतिविधियों की वजह से डिमांड आसमान पर हैं. ऐसे में लोगों को 10-10 घंटे तक अघोषित बिजली कटौती का सामना कर पड़ रहा है.
रेलवे के एक अधिकारी ने दावा किया कि बिजली मंत्रालय ने इस साल रेलवे से 421 रैक मांगे थे, जिसमें से 411 उपलब्ध करा दिए गए. लेकिन असली समस्या डिब्बों की कमी की नहीं, कोयला लदान और उतारने में लगने वाले समय की है. उन्होंने दावा किया कि इसमें 10 से 15 दिन तक लग जा रहे हैं, जिससे मालगाड़ी के डिब्बे खाली नहीं हो पा रहे.
खबर के मुताबिक, बिजली मंत्रालय के अधिकारी इस संकट के पीछे एक और वजह बताते हैं. वह कहते हैं कि बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों के पास जरूरत के वक्त ग्रिड से आपातकालीन बिजली खरीदने का विकल्प होता है. लेकिन ये बिजली महंगी होती है. इसीलिए कई राज्यों में कई कंपनियां, चाहे वो सरकारी हों या प्राइवेट, ग्रिड से स्पॉट पावर नहीं खरीद रही हैं.