सरकार की नई नीति का असर ये हुआ कि शराबियों के मजे हो गए हैं.

20 प्रतिशत कीमत सरकार ने कम कर दी तो ठेकेदारों की आपसी प्रतियोगिता में जमकर डिस्काउंट चल रहा है.

 कोई भी ब्रांड लो दो बोतल पर एक फ्री दी जा रही है. वहीं पेटी लेने पर 40 से 50 प्रतिशत का छूट मिल रही है.

 सरकार ने आबकारी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए बड़े-बड़े शराब ठेकेदारों को मोनोपाली खत्म कर दी. इसके साथ 20 प्रतिशत शराब की कीमतों को कम कर दिया तो ठेकेदारों को देशी व अंग्रेजी साथ में बेचने की छूट भी दे दी.

नए ठेके में एक बड़ी शर्त ये भी रख दी कि ठेकेदारों को 85 प्रतिशत माल उठाना अनिवार्य है. 

ये बंफर डिस्काउंट शहर की 80 प्रतिशत शराब की दुकानों पर चल रहा है. गलाकाट प्रतियोगिता करना ठेकेदारों की एक तरह से मजबूरी भी हो गई है, क्योंकि उसे 85 प्रतिशत माल जो उठाना है.

एक दूसरे की ग्राहकी खिचने के लिए सारा खेल रचा जा रहा है. अंग्रेजी के साथ देशी दुकान होने से भी कारोबार पर ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है. मजेदार बात ये है कि देशी शराब ज्यादातर मजदूर तबका पीता है. कम कीमत करने पर दूर-दूर जाने में भी हिचक नहीं रहा है.

बीयर महंगी : गर्मी का मौसम होने की वजह से अभी सबसे ज्यादा बिक्री बीयर की हो रही है.

ठेकेदारों को मालूम है कि सिर्फ तीन माह का कारोबार है. ऊपर से ठंडी करके अलग देना पड़ती है.

बड़े ठेकेदार भेज रहे गुजरात : गुजरात में शराब बंदी है, लेकिन बड़े पैमाने पर अवैध रूप से माल जा रहा है.

इंदौर के कई बड़े शराब ठेकेदार काम पर लगे हुए हैं. आबकारी विभाग ने भी आंख बंद कर रखी है

उन्हें मालूम है कि इतने महंगे ठेके उठाने वाले कारोबारी करोड़ों रुपए निकालेंगे कहां से और 85 प्रतिशत माल उठाकर खपाएंगे कहां से. इस वजह से उन्होंने ध्यान देना कम कर दिया.

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