गोलकुंडा किले का गौरवशाली इतिहास

भारत के भव्य इतिहास की कहानी बताता है गोलकुंडा किला

गोलकुंडा किला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पास स्थित है

ऐतिहासिक गोलकुंडा किले का नाम तेलुगु शब्द 'गोल्ला कोंडा' पर रखा गया है, शुरुआत में यह मिट्टी का किला था

मुहम्मद शाह और कुतुब शाह के जमाने में इसे विशाल चट्टानों से बनवाया गया

देश के सबसे बड़े और सुरक्षित किलों में से एक गोलकुंडा बहमनी के शासकों के भी अधीन रहा

किसी जमाने में गोलकुंडा के इलाके की हीरे की खान से ही कोहिनूर हीरा निकला था

दक्कन के पठार में बना यह किला सबसे बड़े किलों में से एक था, इसे 400 फुट ऊंची पहाड़ी पर बनवाया गया है

इस किले में 8 भव्य प्रवेश द्वार हैं जिन पर 15 से 18 मीटर की ऊंचाई वाले 87 बुर्ज बने हैं

किले के सबसे ऊपरी भाग पर जाएं तो आपको इसकी ऊंचाई का पता चलेगा, जहां से पूरा हैदराबाद नजर आता है

इस किले के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं, जहां किसी को जाने की इजाजत नहीं

किले के द्वार के नीचे अगर आप ताली बजाएंगे, तो उसकी ध्वनि किले के सबसे ऊंचाई वाले भवन तक सुनी जा सकती है

माना जाता है कि गोलकुंडा के किले में एक गुप्त भूमिगत सुरंग थी जो 'दरबार हॉल' से पहाड़ी की तलहटी तक जाती थी

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