आज तक आप लोगों ने बहुत सी रहस्यमयी मंदिरों के बारे सुना होगा लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे कुंड की कहानी जिसकी गहराई का पता वैज्ञानिक तक नहीं लगा पाए। आमतौर पर लोग किसी भी रहस्यमयी चीज को देखते हैं तो सबसे पहले उसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों को जानने का प्रयास करते हैं, लेकिन जब कोई वैज्ञानिक कारण ही नहीं मिले तो वे उसे प्रभावित करने लगती है। चूंकि हम सब जानते हैं कि विज्ञान तय सिद्धांतों पर ही चलता है, लेकिन आध्यात्म और चमत्कार का कोई सिद्धांत नहीं होता है और भारत में ऐसे रहस्यमयी स्थानों की कमी भी नहीं है। ऐसे कई कहानियां है जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ बनी हुई है।
कहां स्थित है भीमकुंड
भीमकुंड मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। आदिकाल से छतरपुर का भीमकुंड प्रसिद्ध तीर्थस्थान रहा है। छतरपुर जिले से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित भीमकुंड स्थानीय लोगों के लिए न सिर्फ आस्था का केंद्र है बल्कि दूर-दूर से लोग इस कुंड में स्नान के लिए जाते हैं।
भीमकुडं से जुड़ी पौराणिक कथा
भीमकुंड को लेकर कथा मिल है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडवों एक वन से गुजर रहे थे। उसी समय द्रोपदी को प्यास लगी। जब द्रोपदी प्यास से व्याकुल हो उठीं तो भीम ने अपनी गदा उठाई और नियत स्थान पर गदा से प्रहार किया। भीम की गदा के प्रहार से भूमि की कई परतों में छेद हो गया और जल दिखाई देने लगा। लेकिन भूमि की सतह से जल स्रोत लगभग तीस फीट नीचे था। सी स्थिति में युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा कि अब तुम्हें अपनी धनुर्विद्या के कौशल से जल तक पहुंच मार्ग बनाना होगा। यह सुनकर अर्जुन ने धनुष पर बाण चढ़ाया और अपने बाणों से जल स्रोत तक सीढ़ियां बना दीं। धनुष की सीढ़ियां से द्रौपदी को जल स्रोत तक ले जाया गया। यह कुंड भीम की गदा से निर्मित हुआ था इसलिए इसे भीमकुंड के नाम से जाना गया।
भीमकुंड से जुड़े कुछ तथ्य
भीमकुंड को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह एक शांत ज्वालामुखी की तरह है। इसकी गहराई की बात करें तो अब तक कई भू-वैज्ञानिकों ने गोताखोरों द्वारा इसकी गहराई का पता लगाने की कोशिश की। लेकिन किसी को भी कुंड का तल नहीं मिला। कहा जाता है कि कुंड की अस्सी फिट की गहराई में तेज जलधाराएं प्रवाहित होती हैं जो शायद इसे समुद्र से जोड़ती हैं। हालांकि भीमकुंड की गहराई आज भी भू-वैज्ञानिकों के लिए रहस्य ही बनी हुई है। भीमकुंड को लेकर ये मान्यता भी है कि इसमें स्नान करने से गंभीर से गंभीर बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। इसके अलावा कितनी भी प्यास लगी हो इसकी तीन बूंदें ही सारी प्यास बुझा देती है। इसके अलावा जब भी देश में कोई बड़ा संकट आने वाला होता है तब इस जलकुंड का जलस्तर बढ़ जाता है। यानी कि आपदा का संकेत यह कुंड पहले से ही दे देता है।