क्या होती है “अभय मुद्रा” जिसका जिक्र ससंद में किया गया, इसके बारे में प्रस्तुत है हिंदी में जानकारी

चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र के छठवें दिन राहुल गांधी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान भगवान शिव की एक फोटो प्रस्तुत कर उनकी अभय मुद्रा का जिक्र करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा। राहुल ने कहा कि अभय मुद्रा का अर्थ है, डरो मत, डराओ मत। उन्होंने कहा कि भगवान शिव, गुरू नानक, ईसा मसीह, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने भी अभय मुद्रा का संकेत पूरी दुनिया को दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिह्न भी इसी अभय मुद्रा की तरह है।

आइए जानते हैं ‘क्या है अभय मुद्रा और इसके फायदे’
अभय मुद्रा, हिंदू और बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण हस्त मुद्रा है, जो सुरक्षा, शांति और भय निवारण का प्रतीक है। इस मुद्रा में दाहिना हाथ कंधे की ऊंचाई पर उठाया जाता है, हथेली बाहर की ओर होती है और अंगुलियां सीधी होती हैं।

अभय मुद्रा का महत्व

अभय मुद्रा का महत्व बहुत गहरा है। यह मुद्रा सुरक्षा और शांति का प्रतीक है। इसका अभ्यास न केवल बाहरी बल्कि आंतरिक सुरक्षा भी प्रदान करता है। भवनात्मक स्थिरता को बढ़ावा देती है और नकारात्मक भावनाओं को प्रबंधित करने में मदद करती है। यह मुद्रा हमारे जीवन में निडरता और आंतरिक शक्ति को विकसित करने में सहायक होती है।

अभय मुद्रा का उपयोग कैसे करें?

अभय मुद्रा का अभ्यास करना बिल्कुल सरल है। दाहिने हाथ को कंधे की ऊंचाई तक उठाएं, हथेली को बाहर की ओर रखें और अंगुलियों को सीधा रखें। बायां हाथ शरीर के किनारे लटका हुआ हो। योग के दौरान इस मुद्रा का नियमित अभ्यास मन और शरीर को संतुलित रखता है। गहरी और धीमी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।

अभय मुद्रा के लाभ

अभय मुद्रा के नियमित अभ्यास से निडरता, सुरक्षा और आंतरिक शक्ति की भावना विकसित होती है। यह मुद्रा भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा देती है और नकारात्मक भावनाओं को प्रबंधित करने में मदद करती है। दैवीय सुरक्षा के लिए इस मुद्रा का नियमित अभ्यास हमारे मन और शरीर को संतुलित रखता है और भय को दूर करता है।

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